Tuesday, December 21, 2010

प्रेम में डूब....

प्यारे मित्र,

तेरा पत्र मिला है.
अच्छा लगा...
मैं कहूँगा,
प्रेम में डूब.
क्योंकि, उसी सागर में डूबने से वह मिलता है,
जिसकी तलाश है.
प्रेम ही एकमात्र धन है.
इस सूत्र की मन में गाँठ बांध ले..
प्रेम नहीं पाया तो कुछ नहीं पाया.
प्रेम गंवाया तो सब कुछ गँवा दिया.
और, प्रेम पा लिया, तो सब पा लिया.
और, तू पा सकती है.

क्योंकि मैं तो तेरी उन गहराईयों को भी जानता हूँ ,
जिन्हें तू नहीं जानती है.
मैं तुझे पहचानता हूँ .

वहां सबको मेरा प्रणाम..

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