बेईमान अन्ना !
तुम क्यों नहीं
क्रिकेट देखते
कोला बेचते अन्ना
तुमको भी दे देते कोई
अवार्ड अन्ना
देश की तुमको क्या पड़ी
देखो ना
अपना वार्ड अन्ना
कितनी दुकाने सजी हुई थी
संसद के चकले पर
क्यों उघाड़ते हो
उनकी पहचान अन्ना
गांधी की मजार पर रोते हो
नमक तो कब से बिक रहा
इस देश में
सरेआम अन्ना
किसको पकड़ेगा कौन पकड़ेगा
यहाँ सभी मिलकर गाते
भ्रष्टाचार का राष्ट्रगान अन्ना
और हम भी तो जुटते है तभी
जब तमाशा हो क्रिकेट या फिल्म
या पीने का हो सामान अन्ना
देश तो कब का आगे बढ़ गया
छोड़कर पीछे
असली पहचान अन्ना
तू भी बन जा ना
हम जैसा अनजान
बेईमान अन्ना !
कितनी अजीब बात है की हम सभी भारत वासी क्रिकेट क मामले में एक होने में देर नहीं लगाते ...किन्तु देश के भले का काम हो तो..हमारी नानी मर जाती है...
वो ...एक 80 साल का बूढ़ा वो करके दिखा रहा है, जो हम नहीं कर सकते...गाँधी जी के बताये रस्ते से वो आज भी इस जिद पर अड़ा है कि बदलाव ज़रूर होगा....क्या हमें उसका साथ नहीं देना चाहिए...???सुना है , जिस रात भारत विश्वकप जीता, पूरी रात दिल्ली के लोग इंडिया गेट के वहा जुटे रहे...यहाँ देश के लिए कुछ करना है...विचार मत कीजिये...मैं जा रहा हु..जंतर मंतर...आप अपने अपने शहर में शुरू हो जाइये...क्योकि मामला किसी पार्टी का नहीं... देश का है...मेरे हिन्दुस्तान का है..
आपसे उम्र में बहुत छोटा हु...बस इतनी विनती है कि उस बूढ़े इंसान का इतना support करो कि आने वाली जेनरेशन अब इस आन्दोलन को याद रखे...ये सिर्फ लोकपाल की लड़ाई न बने...अब आर पार की लड़ाई का वक़्त है...मेरी request है... जब छोटे छोटे देशो में लोग बदलाव के लिए सड़कों पर उतार सकते है तो...ये देश तो प्रताप, शिवा, झाँसी कि रानी और गाँधी-भगत का देश है...
i request, please अब देर न करो...कोई पार्टी अपना बैनर दे, तो मत लेना... क्योकि हिंदी की पुरानी कहावत है... चोर चोर मौसेरे भाई... ये आम हिन्दुस्तानी कि लड़ाई है... इन भ्रष्ट नेताओं को दूर भगाकर हमें सच्ची आज़ादी लानी है... ये आज़ादी की लड़ाई है...
विवेकानंद की पंक्ति अब हमारा लक्ष्य होना चाहिए..."उठो, जागो और अपने लक्ष्य तक पहुचने से पहले मत रुको....."फैसला आपके हाथ...
**यह आलेख दैनिक भास्कर समाचार पत्र में प्रकाशित हो चुका है.**
तुम क्यों नहीं
क्रिकेट देखते
कोला बेचते अन्ना
तुमको भी दे देते कोई
अवार्ड अन्ना
देश की तुमको क्या पड़ी
देखो ना
अपना वार्ड अन्ना
कितनी दुकाने सजी हुई थी
संसद के चकले पर
क्यों उघाड़ते हो
उनकी पहचान अन्ना
गांधी की मजार पर रोते हो
नमक तो कब से बिक रहा
इस देश में
सरेआम अन्ना
किसको पकड़ेगा कौन पकड़ेगा
यहाँ सभी मिलकर गाते
भ्रष्टाचार का राष्ट्रगान अन्ना
और हम भी तो जुटते है तभी
जब तमाशा हो क्रिकेट या फिल्म
या पीने का हो सामान अन्ना
देश तो कब का आगे बढ़ गया
छोड़कर पीछे
असली पहचान अन्ना
तू भी बन जा ना
हम जैसा अनजान
बेईमान अन्ना !
कितनी अजीब बात है की हम सभी भारत वासी क्रिकेट क मामले में एक होने में देर नहीं लगाते ...किन्तु देश के भले का काम हो तो..हमारी नानी मर जाती है...
वो ...एक 80 साल का बूढ़ा वो करके दिखा रहा है, जो हम नहीं कर सकते...गाँधी जी के बताये रस्ते से वो आज भी इस जिद पर अड़ा है कि बदलाव ज़रूर होगा....क्या हमें उसका साथ नहीं देना चाहिए...???सुना है , जिस रात भारत विश्वकप जीता, पूरी रात दिल्ली के लोग इंडिया गेट के वहा जुटे रहे...यहाँ देश के लिए कुछ करना है...विचार मत कीजिये...मैं जा रहा हु..जंतर मंतर...आप अपने अपने शहर में शुरू हो जाइये...क्योकि मामला किसी पार्टी का नहीं... देश का है...मेरे हिन्दुस्तान का है..
आपसे उम्र में बहुत छोटा हु...बस इतनी विनती है कि उस बूढ़े इंसान का इतना support करो कि आने वाली जेनरेशन अब इस आन्दोलन को याद रखे...ये सिर्फ लोकपाल की लड़ाई न बने...अब आर पार की लड़ाई का वक़्त है...मेरी request है... जब छोटे छोटे देशो में लोग बदलाव के लिए सड़कों पर उतार सकते है तो...ये देश तो प्रताप, शिवा, झाँसी कि रानी और गाँधी-भगत का देश है...
i request, please अब देर न करो...कोई पार्टी अपना बैनर दे, तो मत लेना... क्योकि हिंदी की पुरानी कहावत है... चोर चोर मौसेरे भाई... ये आम हिन्दुस्तानी कि लड़ाई है... इन भ्रष्ट नेताओं को दूर भगाकर हमें सच्ची आज़ादी लानी है... ये आज़ादी की लड़ाई है...
विवेकानंद की पंक्ति अब हमारा लक्ष्य होना चाहिए..."उठो, जागो और अपने लक्ष्य तक पहुचने से पहले मत रुको....."फैसला आपके हाथ...
**यह आलेख दैनिक भास्कर समाचार पत्र में प्रकाशित हो चुका है.**
Cricket me kewal dekhna bhar hota...desh ka bhala to karne se hoga...kaun karega?Sabkee naanee maregee!
ReplyDeletehumein aage badhna hoga...
ReplyDeletevarna ye safed kauve sab noch noch ke kha jayenge...