Tuesday, May 17, 2011

लव यू बेटा...





आज रिषित तीन साल का हो गया. किसी भी पिता के लिए ये बहुत ख़ुशी का क्षण होता है...हाँ ये अलग बात है कि नौकरी के चलते आज के खास दिन भी मैं उसके पास नहीं हु...
 मेरी खुशियों का और उसकी ख्वाहिशों का सिलसिला जारी है. जब उसका जन्म हुआ था तब तक शायद मेरे आधे से ज्यादा दोस्त ये भी न जानते थे कि मैं शादीशुदा हु...मुझे अजीब लगता था किसी को बताते हुए...किन्तु जब रिषित आया तो यह मेरी दुनिया का बहुत बड़ा परिवर्तन था..
रिषित के जन्मदिवस पर मैं उसकी मस्ती की बात करूँ...या उसकी अठखेलियों की...या चंचलता की..तो शायद आप कहेंगे ये तो हर बच्चे कि स्थिति है...शायद होगी...पर रिशु इस  मामले में कुछ ज्यादा ही अलग है...जैसे मैंने इस से पहले वाले पोस्ट में कहा था कि स्कूल जाते हुए वो आम बच्चो की तरह नहीं रोया...और जब रोया तो फिर उस से ज्यादा कोई आम था नहीं... 
जब मैंने किसी "भागवत कथा" में एंकरिंग के  लिए उपस्थित होता हु और चौथे दिवस जब प्रभु श्री कृष्ण का अवतरण होता है तो लगता है रिशु आ गया...पांचवे दिवस कृष्ण की बाल लीलाओं में और रिशु की मस्तियों में कोई खास फर्क महसूस नहीं होता...हाँ वहा पूरा गोकुल पागल होता है...यहाँ पूरा मोहल्ला.
कल शाम फ़ोन पर बात हुई...daddy मेरी नयी वाली कार मम्मा ने तोड़ दी...आप जब दिल्ली से आओ, तो मेरे लिए २ नयी कार, और एक जेसीबी लेते आना..( यहाँ बता दूँ कि जब कभी मैं उदयपुर से बाहर होता हु तो रिशु के लिए उसका तात्पर्य है...daddy जॉब पर है और दिल्ली में है...) किसी चेनल पर कार्टून में जेसीबी देख ली तभी से उसका दीवाना हो गया है...और हाँ कल जब मैं बड़ा सारा केक काटूँगा तो आप मुझे उठा लेना...नहीं तो केक ख़राब हो जायेगा...  daddy ! वन-टू ....... नहीं सेवन संता  केप भी लाना. वन वाली तो निशु भैया के लिए, टू वाली दुर्गेश चाचू  के लिए, थ्री इशी दीदी के लिए और वन मम्मा के लिए...आप केप में अच्छे नहीं लगते...इशलिये बाकी सब मेरी. .."
एक पिता को चाहे कुछ भी क्यों न करना पड़े, उसकी ये तमन्ना ज़रूर रहेगी कि उसके बेटे की कोई ख्वाहिश अधूरी न रह जाये... मेरी मम्मी अक्सर बताती है कि पापाजी बात किया करते थे...कि जो हमें न मिला, वो सब कुछ हमारे बेटे को ज़रूर मिलेगा.. उस समय (सन चौरासी) में मेरे ननिहाल में शायद मैं अकेला बच्चा था जो " जोह्न्संस एंड जोहंसंस " साबुन से नहाता था...पापाजी मेरे लिए वो साबुन अहेम्दाबाद से लाया करते थे... 
जब रिशु को पहली बार स्कूल छोड़कर आया तो मैंने कुछ ख़ास लोगो को ये एस.एम्.एस. किया " पता नहीं यार वो स्कूल में कितना रो रहा होगा, जब मैं उसे छोड़कर आया तो दरवाज़े की तरफ ही देख रहा था..." इस पर आर.जी. ने दिल्ली से रिप्लाय किया..."हाय रे बाप का दिल"... उदयपुर में मेरे अग्रज हेमंत जी चोपड़ा ने फ़ोन करके कहा..."ओमजी, इस एस.एम्.एस को हमेशा के लिए मैं अपने पास सहेजकर रखूँगा.जब रिशु का बच्चा स्कूल जायेगा तो यही एस.एम्.एस मैं उसे भेजूंगा कि एक बाप किस कदर इमोशनल हो सकता है.....
खैर फिलहाल रामनगर (नैनीताल) में हूँ. बापूजी की राम कथा चल रही है कल ही राम जन्म हुआ है...आज रामजी कि बाल लीलाओं का व्याख्यान होगा. बापूजी को पता है कि आज रिशु का जन्मदिवस है..शायद चलते लाइव में वे आस्था पर ही इसकी घोषणा करके तालियाँ न बजवा दे...पर शायद आज मेरा मन एंकरिंग में न लगे... मन उदयपुर में लगा हुआ है... आज कथा में राम न दिखेंगे... वहा रिशु को खोजने कि कोशिश करूँगा...
जब कोई पिता अपने बच्चे की बात करता है तो बहुत ज्यादा अनौपचारिक हो जाता है...मुझे पता है कि इस पोस्ट में बहुत कुछ गड्ड-मद्द हो गया है... कोई फर्क नहीं पड़ता...
आज अगर मैं उस से दूर हूँ तो उसी के सुखद भविष्य को लेकर.... क्योकि मुझे मेरे पापाजी कि ही उस बात को आगे बढ़ाना है...जो मुझे नहीं मिला...वो सब कुछ उसे मिलेगा.... वैसे मुझे मेरे बचपन में सभी कुछ मिला है....हहहहः
खुश रहो हमेशा... यु ही मुस्कुराते रहो...खिलखिलाते रहो...बाकि काम मैं कर लूँगा...
लव यू बेटा...
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"कैसे कैसे सवालात करता है
मेरा बच्चा मेरी तरह ही बात करता है...

कहता है, दम है तो उठाओ इसे पापा,
सामने अंगद की तरह पाँव करता है...

मम्मा अच्छी, पापा गंदे..
हमेशा भोली सी बात करता है...

जो है वो भी, जो नहीं है वो भी ला-दू..
छोटे छोटे आगे हाथ करता है...

सोते सोते हाथ से करता है इशारे...
नींद में वो रब से मुलाकात करता है..."